झुंझुनू, राजस्थान — “जिस ज़मीन को हमने पीढ़ियों से सींचा, अब वही हमारे हाथों से छिनने लगी है।” कुछ इसी दर्द के साथ झुंझुनू जिले के गुड़ा मोड़ दो नंबर रोड पर रहने वाले हंसराज आर्य अपनी आपबीती सुनाते हैं। मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे इलाके के उन दर्जनों परिवारों का है जो खुद को अपनी ज़मीन का मालिक समझते रहे, लेकिन अब वक्फ बोर्ड उसके मालिकाना हक का दावा कर रहा है।
वक्फ बोर्ड ने जताया हक, लोगों में दहशत
हंसराज जी बताते हैं कि वक्फ बोर्ड के कुछ लोग उनकी ज़मीन पर कब्जे का दावा करते हुए आए और ज़मीन की नाप-जोख शुरू कर दी। यह वही ज़मीन है जिसे उनके पिताजी ने 1963 में बाकायदा रजिस्ट्री के ज़रिए खरीदा था। उनके पास ज़मीन से जुड़े पूरे वैध दस्तावेज मौजूद हैं, फिर भी वक्फ बोर्ड का दावा और दखलंदाज़ी उन्हें और उनके परिवार को परेशान कर रही है।
पुराना मुकदमा, नई परेशानियां
हंसराज जी ने जानकारी दी कि 2012 में वक्फ बोर्ड ने उनके खिलाफ कानूनी मुकदमा दायर किया था, जो अब तक राजस्थान हाई कोर्ट में लंबित है। मुकदमे का फैसला आए बिना ही वक्फ बोर्ड के लोगों ने जमीन पर दावा जताकर उन्हें डराना-धमकाना शुरू कर दिया है।
हंसराज जी कहते हैं कि वक्फ बोर्ड की तरफ से यह दावा किया जा रहा है कि इलाके में स्थित जामा मस्जिद और उससे लेकर घोड़ा मोड़ तक की ज़मीन वक्फ की है। यह दावा कई पुरानी रिहायशी ज़मीनों को भी अपनी चपेट में ले रहा है।
पुलिस में शिकायत, लेकिन हल अधूरा
जान से मारने की धमकियों से परेशान होकर हंसराज जी ने पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज करवाई है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन जब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक लोगों की चिंताएं खत्म होती नहीं दिख रहीं।
जमीन के वैध कागजात हंसराज के पास
हंसराज जी बार-बार यह दोहराते हैं कि उनके पास रजिस्ट्री के सारे वैध कागज़ात हैं। यह ज़मीन उनके पिता ने पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत खरीदी थी और तब से लेकर अब तक उनका परिवार वहां रह रहा है। उनका दावा है कि वक्फ बोर्ड का कोई अधिकार इस ज़मीन पर नहीं बनता।
सिर्फ हंसराज नहीं, और भी लोग हो रहे परेशान
यह विवाद हंसराज जी तक सीमित नहीं है। इलाके में कई ऐसे परिवार हैं जो सालों से—कुछ तो 60 से 70 वर्षों से—वहीं रह रहे हैं। लेकिन अब वक्फ बोर्ड द्वारा उन पर भी ज़मीन खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है। इससे पूरे मोहल्ले में डर और अनिश्चितता का माहौल बन गया है।
नामांतरण में मिलीभगत का आरोप
हंसराज जी का आरोप है कि वक्फ बोर्ड ने तहसीलदार कार्यालय से मिलीभगत कर ज़मीन का नामांतरण अपने पक्ष में करवा लिया है। वे कहते हैं कि बिना कोर्ट के निर्णय के यह कार्रवाई ग़लत है और कानून की अवहेलना है। हंसराज ने मांग की है कि नामांतरण की प्रक्रिया की स्वतंत्र जांच हो।
प्रशासन से न्याय की गुहार
हंसराज और अन्य निवासियों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि जब तक हाई कोर्ट का फ़ैसला नहीं आ जाता, तब तक वक्फ बोर्ड को किसी भी तरह की कार्रवाई से रोका जाए। उनका कहना है कि न्याय की प्रतीक्षा में वे अपने घर और ज़मीन पर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
कौन है सही, कौन गलत?
इस पूरे विवाद में असली सच्चाई क्या है, यह तो कानूनी निर्णय के बाद ही सामने आएगा। एक ओर वक्फ बोर्ड अपनी धार्मिक संपत्ति का दावा कर रहा है, तो दूसरी तरफ़ आम नागरिकों के पास ज़मीन के रजिस्टर्ड दस्तावेज हैं। मामला बेहद जटिल हो चुका है।
ज़मीन के विवाद ने उड़ा दी नींद
झुंझुनू का यह मामला एक बड़ी सच्चाई को सामने लाता है—किसी भी कानूनी निर्णय के बिना की गई कार्रवाई लोगों के लिए कितनी परेशानियां खड़ी कर सकती है। ज़मीन जैसे संवेदनशील मुद्दे पर पारदर्शिता, न्याय और प्रशासनिक सतर्कता की बेहद ज़रूरत है। जब तक अदालत का फ़ैसला नहीं आता, लोगों को राहत और सुरक्षा का भरोसा मिलना जरूरी है।