महाकुंभ 2025 में ‘वायरल साध्वी’ के नाम से प्रसिद्ध हुईं हर्षा रिछारिया इन दिनों चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं। हर कोई जानना चाहता है कि क्या वह वास्तव में एक साध्वी हैं या फिर केवल सोशल मीडिया की एक प्रभावशाली हस्ती।
हर्षा रिछारिया ने खुद इस विषय पर बात करते हुए बताया, “महाकुंभ में मेरी वेशभूषा देखकर लोगों ने मुझे साध्वी समझ लिया, लेकिन मैंने कभी खुद को साध्वी नहीं कहा। मैंने केवल मंत्र दीक्षा ली है, लेकिन यह बात कभी नहीं कही कि मैं बचपन से साध्वी हूं।”
कहा जाता है कि हर्षा ने कुछ साल पहले केदारनाथ यात्रा की थी। इस यात्रा के बाद से ही उनका झुकाव आध्यात्म की ओर बढ़ गया। इसके बाद हर्षा ने अपने परिवार के सामने समाजसेवा करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने अपनी मां को यह भी बताया कि वह स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज की शिष्या हैं और केवल आध्यात्मिक मार्ग पर चल रही हैं। हर्षा ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके मन में संन्यास लेने का कोई विचार नहीं है।
हर्षा के मुताबिक, जब उनकी मां ने पहली बार उन्हें साध्वी की वेशभूषा में देखा, तो वह भावुक होकर रो पड़ीं। लेकिन हर्षा ने उन्हें समझाया कि वह साध्वी नहीं हैं और न ही संन्यास लेने का उनका इरादा है।
प्रयागराज महाकुंभ के दौरान, हर्षा रिछारिया उस समय विवादों में आईं, जब 14 जनवरी को निरंजनी अखाड़े की पेशवाई में उन्हें संतों के साथ रथ पर बैठा देखा गया। इसके बाद से ही वह सुर्खियों में छा गईं।
हर्षा ने यह भी कहा, “दुनिया की सबसे खूबसूरत साध्वी का टैग मिलना अच्छा लगता है, लेकिन यह सही नहीं है। मैं एक सामान्य लड़की हूं जो ईश्वर भक्ति में लीन है।”
इस तरह, हर्षा रिछारिया ने अपने जीवन और विवादों से जुड़े कई सवालों के जवाब देकर अपनी स्थिति स्पष्ट की।