राजस्थान के शेखावाटी अंचल का एक और लाल देश पर न्योछावर हो गया। शहीद मदन लाल गुर्जर, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में तैनाती के दौरान देश की सेवा करते हुए अंतिम सांस ली, अब हमारे बीच नहीं हैं। उनके पार्थिव शरीर के गांव पहुंचते ही पूरे बेसरेड़ा गांव में शोक की लहर दौड़ गई। सैनिक सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई और पूरे क्षेत्र ने नम आंखों से अपने वीर को श्रद्धांजलि अर्पित की।
गांव में पसरा मातम, हर आंख नम
जैसे ही शहीद मदन लाल का शव तिरंगे में लिपटा हुआ गांव पहुंचा, लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। चारों ओर केवल सन्नाटा और आंसुओं की भाषा सुनाई दे रही थी। शहीद की पत्नी सदमे में बेसुध हो गईं और परिजनों के साथ-साथ हर गांववाले की आंखें भर आईं। खेतड़ी क्षेत्र ने एक और बहादुर बेटे को खो दिया, जिसने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
एक ऐसा परिवार, जो देश को समर्पित है
मदन लाल गुर्जर का परिवार सचमुच एक प्रेरणा है। देशभक्ति उनके खून में है। उनके दो सगे भाई भी भारतीय सेना में तैनात हैं। खुद मदन लाल 20 ग्रेनेडियर यूनिट में वर्ष 2010 से सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने न सिर्फ एक अच्छा सिपाही बनकर अपनी ड्यूटी निभाई, बल्कि अपने परिवार का भी गौरव बढ़ाया।
सरकार का सहयोग और सैन्य सम्मा
सरकार ने शहीद के परिवार को हरसंभव सहायता देने की बात कही है। इसमें आर्थिक पैकेज, राजकीय सेवा में नौकरी और सामाजिक सम्मान शामिल हैं। चूंकि शहीद की पत्नी शिक्षित हैं, इसलिए उन्हें सरकारी नौकरी दिए जाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उनका 12-13 साल का बेटा भी है, जिसकी परवरिश व शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी प्रशासन उठाएगा।
खेतड़ी क्षेत्र: वीरों की धरती
क्या आप जानते हैं कि खेतड़ी विधानसभा क्षेत्र में करीब 15,000 फौजी हैं और अब तक 100 से ज्यादा शहीद देश के लिए अपने प्राण गंवा चुके हैं? अब मदन लाल गुर्जर का नाम 101वें शहीद के रूप में जुड़ गया है। यह क्षेत्र सच में वीरों की धरती है, जहां हर दूसरा घर देश सेवा में किसी न किसी रूप में जुड़ा हुआ है।
अंतिम यात्रा: गांव की आंखों में आंसू, दिलों में गर्व
शहीद की अंतिम यात्रा तिरंगे के साथ गांव की गलियों से निकली। ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद मदन लाल अमर रहें’ के नारों से आसमान गूंज उठा। पूरा गांव इस गर्व और ग़म में एकजुट था।
शहीद की मौत: इलाज की कमी या सिस्टम की चूक?
सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में तैनाती के दौरान हृदय गति रुकने से उनकी मौत हुई। यह भी संभावना जताई जा रही है कि समय पर उचित इलाज नहीं मिलने के कारण उनका निधन हुआ। यदि यह सही है, तो यह चिंता का विषय है और सेना में तैनात जवानों के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
प्रेरणा बनकर रहेंगे शहीद मदन लाल
शहीद मदन लाल गुर्जर ने अपने जीवन का सबसे अनमोल उपहार – अपना जीवन – देश को अर्पित कर दिया। उनका यह बलिदान आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति, सेवा और समर्पण की मिसाल देता रहेगा। आज जब हम स्वतंत्र हवा में सांस लेते हैं, तो इसके पीछे इन जैसे हजारों शहीदों की कुर्बानी है।
सरकार की ज़िम्मेदारी
शहीद के परिवार को उचित सम्मान और सहायता देना सरकार की जिम्मेदारी है। राजस्थान सरकार ने आश्वासन दिया है कि शहीद के एक परिजन को सरकारी नौकरी दी जाएगी। साथ ही शहीद के बेटे की पढ़ाई और जीवनयापन की देखरेख भी की जाएगी।