राजस्थान के झुंझुनूं जिले के गुढ़ागौड़जी कस्बे में रविवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। एक युवक अचानक रिलायंस के मोबाइल टावर पर चढ़ गया, जिसकी ऊंचाई लगभग 250 से 300 फीट बताई जा रही है। यह दृश्य देखते ही देखते पूरे कस्बे में सनसनी फैल गई और लोगों की भीड़ जुट गई।
युवक ने क्यों उठाया ये कदम?
टावर पर चढ़ा युवक लगातार ऊपर से कुछ बड़बड़ाए जा रहा था। वह बार-बार “अब्बास बचाओ” और “मुझे हॉस्पिटल में भर्ती करो” जैसे वाक्य बोल रहा था। उसके स्वर में डर और बेचैनी साफ झलक रही थी। उसने यहां तक कह दिया कि अगर उसकी बात नहीं सुनी गई तो वह टावर से कूद जाएगा।
पुलिस और परिवार की समझाइश
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई। साथ ही युवक के परिजन भी वहां आ गए। सभी ने उसे नीचे उतारने की कोशिश की। परिवार वाले बार-बार उससे कह रहे थे, “नीचे उतर जाओ, मम्मी ने बुलाया है।” हालांकि, युवक डरा हुआ था और पुलिस को देखकर और घबरा गया।
युवक की पहचान
टावर पर चढ़े युवक का नाम इरफान है। वह नीमका थाना क्षेत्र के एक गांव का निवासी है। परिजनों के अनुसार, वह पहले भी दो-तीन बार टावर पर चढ़ चुका है। उसे मंदबुद्धि बताया जा रहा है और उसका इलाज भी चल रहा है।
समय और घटनाक्रम
इरफान करीब शाम 5 बजे टावर पर चढ़ा था और रात 7:30 बजे तक वह वहीं मौजूद था। यानी करीब ढाई घंटे से भी ज्यादा वक्त वह टावर पर था। इस दौरान लगातार समझाइश का दौर चलता रहा।
मानसिक तनाव का कारण
परिवार वालों ने बताया कि इरफान कुछ समय पहले एक सड़क हादसे का शिकार हुआ था, जिसके बाद से उसका मानसिक संतुलन और बिगड़ गया। इसके अलावा उस पर कर्ज का भी बोझ है, जिससे वह मानसिक रूप से काफी परेशान रहता है।
नीचे उतरने की उम्मीद
काफी प्रयासों और समझाइश के बाद इरफान ने करीब 10 फीट नीचे उतरने की कोशिश की, लेकिन वह वहीं रुक गया। पुलिस और परिजन लगातार उसे सुरक्षित नीचे लाने की कोशिश करते रहे।
ऐसी स्थिति में क्या करें?
अगर आपके आसपास कोई व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान दिखे या आत्महत्या का प्रयास कर रहा हो, तो इन बातों का ध्यान रखें:
- उस व्यक्ति से शांतिपूर्वक बात करें और उसकी परेशानी समझें।
- उसे अकेला बिल्कुल न छोड़ें।
- तुरंत स्थानीय पुलिस या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें।
- धैर्य रखें और उस व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
आपकी समझदारी और संवेदनशीलता किसी की जान बचा सकती है।
मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत
गुढ़ागौड़जी की इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में अभी भी बहुत जागरूकता की कमी है। हमें अपने आस-पास के लोगों के व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए और समय रहते मदद पहुंचानी चाहिए।
परिणाम
इरफान की यह हरकत हमें एक गहरी सीख देती है – मानसिक पीड़ा उतनी ही गंभीर हो सकती है जितनी कोई शारीरिक चोट। उसे नजरअंदाज करना किसी भी हाल में उचित नहीं है। अगर समय रहते उचित इलाज और समर्थन मिले, तो ऐसी घटनाएं टाली जा सकती हैं।