देश में महिला सुरक्षा को लेकर पहले से ही चिंता बनी हुई है, और अब एक के बाद एक सामने आते खुलासों ने इस चिंता को और गहरा कर दिया है। हाल ही में सामने आया एक सनसनीखेज मामला पश्चिम बंगाल, असम, छत्तीसगढ़ और झारखंड की गरीब लड़कियों को बहला-फुसलाकर नेताओं और अफसरों तक पहुंचाने वाले एक बड़े सेक्स रैकेट से जुड़ा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस रैकेट का संचालन एक भाजपा नेता कर रहा था।
एक लड़की की हिम्मत से खुला गोरखधंधा
इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब इस गंदे जाल में फंसी एक लड़की ने हिम्मत दिखाई और पुलिस के सामने अपनी आपबीती रखी। उसकी गवाही ने पूरे रैकेट की पोल खोल दी। उसने बताया कि कैसे उसे बेहतर नौकरी, शादी और सुखद भविष्य का झांसा देकर कोलकाता से दिल्ली लाया गया और फिर वहां एक रसूखदार नेता के हवाले कर दिया गया।
पुलिस की पूछताछ में यह सामने आया कि इस पूरे रैकेट के पीछे एक भाजपा नेता का नाम सामने आ रहा है, जो पिछले कुछ सालों से इस धंधे को चला रहा था। आरोपी नेता के संपर्क सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं थे, बल्कि वह पूर्वोत्तर भारत और झारखंड तक फैले नेटवर्क से लड़कियों की ‘आपूर्ति’ करवाता था।
60 दिनों में BJP के नेताओं पर लग चुके हैं कई गंभीर आरोप
चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले 60 दिनों में भाजपा से जुड़े दर्जनों नेताओं पर अश्लील हरकतें, महिला शोषण, और देह व्यापार जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं। कई मामलों में तो सबूत सामने आने के बाद भी कार्रवाई धीमी रही, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या सत्ता का संरक्षण ऐसे लोगों को बचा रहा है?
राजनीति में अपराधियों की घुसपैठ कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब एक सत्ताधारी पार्टी के भीतर बार-बार ऐसे मामले सामने आने लगें, तो यह सिर्फ एक संयोग नहीं रह जाता। यह एक गहरी बीमारी की ओर इशारा करता है।
सिर्फ एक पार्टी ही क्यों निशाने पर?
यह सवाल अब आम जनता के बीच उठने लगा है — आखिर हर बार ऐसे शर्मनाक मामलों में भाजपा नेताओं का ही नाम क्यों आता है? क्या पार्टी के अंदर कोई जवाबदेही तय नहीं होती? क्या इन नेताओं को पार्टी का संरक्षण प्राप्त है?
इन घटनाओं से न सिर्फ राजनीतिक माहौल प्रदूषित होता है, बल्कि आम जनता का भरोसा भी टूटता है। ऐसे समय में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि जनता चुप न बैठे, बल्कि सवाल पूछे, आवाज उठाए और जवाबदेही की मांग करे।
कानून और सिस्टम की परीक्षा
इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, लेकिन यह सवाल कायम है कि क्या पूरा नेटवर्क तोड़ा जा सकेगा? क्या रसूखदार नेताओं पर भी उतनी ही सख्ती से कार्रवाई होगी, जितनी एक आम अपराधी पर होती है?
सरकार और न्याय व्यवस्था दोनों की यह जिम्मेदारी है कि ऐसे मामलों में न सिर्फ त्वरित कार्रवाई हो, बल्कि जनता को भरोसा भी दिलाया जाए कि कानून सबके लिए एक जैसा है।