झुंझुनूं जिले के बीडीके हॉस्पिटल में शनिवार को माहौल तनावपूर्ण हो गया, जब सैकड़ों ग्रामीण इंसाफ की मांग को लेकर अस्पताल परिसर में जमा हो गए। दरअसल, बिरमी गांव के निवासी सुभाष कुमार की मौत के बाद भी अब तक आरोपी गिरफ्त से बाहर हैं, जिससे लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। घटना को दस दिन से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता और पुलिस की ढीली कार्रवाई को लेकर लोगों में जबरदस्त रोष है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 16 मई की रात का है, जब सुभाष कुमार, जो कुवैत में नौकरी करता था और छुट्टियों पर अपने गांव बिरमी आया हुआ था, एक होटल में खाना खाने गया। उसी दौरान कुछ लोगों ने उस पर हमला कर दिया। सुभाष गंभीर रूप से घायल हो गया। पहले उसे बीडीके अस्पताल लाया गया, फिर जयपुर रेफर किया गया और अंत में परिजनों ने उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। काफी इलाज के बाद भी सुभाष को बचाया नहीं जा सका और 24 मई को उसकी मौत हो गई।
ग्रामीणों का आरोप है कि हमलावरों में एक शख्स पुलिस विभाग में कार्यरत है, और इसी वजह से उसे बचाने की कोशिश की जा रही है। यही कारण है कि पुलिस ने अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है।
ग्रामीणों की नाराजगी और मांगें
गांव के लोग बेहद आक्रोशित हैं और उन्होंने सुभाष के शव का पोस्टमार्टम करवाने से इनकार कर दिया है। उनकी मांग है कि जब तक सभी आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता, वे शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। इसके अलावा, वे सुभाष के परिवार को आर्थिक सहायता देने की भी मांग कर रहे हैं।
विजय कुमार, सुभाष के बड़े भाई ने बताया कि “उस रात सुभाष होटल में अकेला खाना खाने गया था, वहां बिना किसी उकसावे के कुछ लड़कों ने उसे घेरकर बेरहमी से पीटा। एफआईआर में चार से पांच आरोपियों के नाम दर्ज हैं, लेकिन कार्रवाई शून्य है।”
पुलिस की भूमिका पर उठ रहे सवाल
ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि पुलिस जानबूझकर मामले में ढिलाई बरत रही है। उनका मानना है कि पुलिस किसी राजनीतिक या आंतरिक दबाव में आकर आरोपी को बचा रही है।
एक स्थानीय नागरिक ने नाराजगी जताते हुए कहा, “सड़क पर अगर कोई शराबी हंगामा करे तो पुलिस झट से पकड़ लेती है, लेकिन यहां हत्या हुई है, और पुलिस आराम से बैठी है।”
पुलिस की सफाई
इस मामले में एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सुभाष पर पहले से एक केस दर्ज था और झगड़े में घायल होने के बाद उसे जयपुर रेफर किया गया था। बाद में परिजनों ने उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी मौत हो गई। पुलिस का दावा है कि वे पूरी जांच कर रही हैं और जल्द ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस के अनुसार, मामले की बारीकी से जांच की जा रही है और जल्द ही साक्ष्यों के आधार पर गिरफ्तारी की जाएगी। हालांकि, ग्रामीणों को इन दावों पर यकीन नहीं हो रहा और उनका कहना है कि जब तक पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करती, वे धरना खत्म नहीं करेंगे।
न्याय के लिए अडिग ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि सुभाष एक सीधा-सादा व्यक्ति था और किसी से उसकी कोई दुश्मनी नहीं थी। वे सवाल उठा रहे हैं कि आखिर उसे क्यों मारा गया?
उनकी मांग साफ है — “दोषियों को गिरफ्तार किया जाए, पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो।”
क्या मिलेगा न्याय?
बीडीके अस्पताल में हुआ यह विरोध प्रदर्शन केवल एक व्यक्ति की मौत पर गुस्से का इजहार नहीं है, बल्कि यह उस व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ है जो आम आदमी की सुनवाई में अक्सर चुप रह जाती है। अब देखना यह है कि पुलिस इस मामले को कितनी गंभीरता से लेती है और सुभाष को न्याय दिलाने में कितनी तत्परता दिखाती है।