रिश्वतखोरी का नया मामला: चिड़ावा में दो अधिकारी गिरफ्तार
राजस्थान के झुंझुनू ज़िले के चिड़ावा कस्बे में भ्रष्टाचार की एक गंभीर घटना ने सबका ध्यान खींचा है। यहां सहायक प्रशासनिक अधिकारी नरेंद्र सिंह और एईएन आजाद सिंह को ₹4,000 की रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। यह रिश्वत प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत लंबित पड़ी सात फाइलों को मंजूरी देने के एवज में मांगी गई थी।
क्या है प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना?
यह केंद्र सरकार की एक पहल है, जिसके तहत आम नागरिकों को अपने घरों की छतों पर solar panels लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। सरकार इस योजना के तहत सब्सिडी भी देती है जो लगभग ₹18,000 तक होती है। लेकिन यह सब्सिडी तभी मिलती है जब संबंधित अधिकारी योजना की फाइल को अप्रूव करते हैं।
कैसे फंसे भ्रष्टाचार के जाल में अधिकारी?
शिकायतकर्ता एक सोलर सिस्टम वेंडर है जिसने 6 जून को ACB झुंझुनू को शिकायत दी कि अधिकारी ₹4,000 की रिश्वत मांग रहे हैं। ACB ने तुरंत एक वेरिफिकेशन टीम भेजी और पुष्टि के बाद जाल बिछाया गया।
- सोमवार को ACB की टीम चिड़ावा पहुंची, लेकिन सही स्थान न मिलने से ऑपरेशन टाल दिया गया।
- मंगलवार को योजना दोबारा लागू हुई। वेंडर को पावर हाउस के पीछे स्थित शिव कॉलोनी में नरेंद्र सिंह से मिलने भेजा गया।
- दोपहर 2:30 बजे जैसे ही नरेंद्र ने रिश्वत ली, वह भागने की कोशिश करने लगा लेकिन ACB टीम ने उसे पकड़ लिया।
पैसों को छिपाने की कोशिश भी नाकाम
रिश्वत लेते ही जैसे ही नरेंद्र को ACB टीम की भनक लगी, उसने ₹4,000 नकद एक खाली प्लॉट में फेंक दिए ताकि सबूत मिटाया जा सके। लेकिन यहां वो ये भूल गया कि उस जगह CCTV कैमरे लगे हुए थे, जिनमें उसकी सारी हरकत रिकॉर्ड हो चुकी थी। इसके आधार पर ही बाद में एईएन आजाद सिंह को भी गिरफ्तार किया गया।
ACB की जांच: सिस्टम की गहराई तक जाएगा मामला
ACB अब इस पूरे मामले की जांच कर रही है और यह जानने की कोशिश कर रही है कि इन दोनों अधिकारियों के अलावा और कौन इस भ्रष्टाचार के नेटवर्क में शामिल है।
जानकारी के अनुसार:
- आईएएन (AEN) की जिम्मेदारी होती है यह सुनिश्चित करने की कि सोलर सिस्टम सही तरीके से लगा है या नहीं।
- लेकिन दोनों अधिकारियों ने प्रक्रिया को दरकिनार कर, घूस लेकर गलत फाइलों को अप्रूव किया।
- इसका सीधा नुकसान आम जनता को होता है, जिन्हें सरकारी सब्सिडी पाने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है।
शादी की सालगिरह पर गिरफ्तारी!
सूत्रों की मानें तो जिस दिन नरेंद्र सिंह की गिरफ्तारी हुई, वह उसकी शादी की सालगिरह भी थी। लेकिन रिश्वत की लालच ने इस दिन को यादगार नहीं, शर्मनाक बना दिया।
प्रशासन को लेने होंगे कठोर कदम
यह घटना न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि आज भी कई सरकारी योजनाएं भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी हुई हैं। जब तक पारदर्शिता और सख्त निगरानी नहीं होगी, तब तक आम जनता को योजनाओं का लाभ सही समय पर नहीं मिल सकेगा।
- सरकार को चाहिए कि ऐसे मामलों में फास्ट ट्रैक जांच और सज़ा का प्रावधान करे।
- डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम के ज़रिए फाइल मूवमेंट को मॉनिटर किया जाए।
- अधिकारियों की जवाबदेही तय हो और कड़ी सज़ा दी जाए।
परिणाम
झुंझुनू की यह घटना एक उदाहरण है कि कैसे भ्रष्टाचार अब भी हमारी व्यवस्था की जड़ें खोखली कर रहा है। अगर समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो “जनकल्याणकारी योजनाएं” सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित रह जाएंगी। हमें प्रशासन और आम जनता—दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि “घूस नहीं, अधिकार चाहिए” का नारा सिर्फ नारा नहीं, हकीकत बने।