हिंडौन सिटी (राजस्थान) से एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां शिक्षा का केंद्र माने जाने वाले एक पुस्तकालय में एक छात्र को बेरहमी से पीटा गया। यह पूरा मामला सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया और वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
गुरुकृपा लाइब्रेरी में हुई मारपीट की घटना
यह घटना 16 मई की है, जब हिंडौन के वर्धमान नगर इलाके में स्थित गुरुकृपा लाइब्रेरी में कुछ युवकों ने एक छात्र पर हमला कर दिया। पीड़ित छात्र का नाम तरुण शर्मा बताया गया है। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि कुछ युवक लाइब्रेरी में घुसते हैं और अचानक तरुण पर लात-घूंसे और थप्पड़ों की बारिश कर देते हैं।
घटना के समय लाइब्रेरी में मौजूद अन्य छात्र भी दहशत में आ गए और कई छात्र वहां से भाग खड़े हुए। यह घटना उस जगह पर हुई जिसे ज्ञान का मंदिर माना जाता है – ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अब छात्रों के लिए पढ़ाई की सुरक्षित जगह भी खतरे से खाली नहीं रही?
हमलावर कौन थे?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हमले के पीछे सचिन गुर्जर तिघरिया नाम का युवक और उसके छह साथी थे। उन्होंने अचानक लाइब्रेरी में आकर न सिर्फ तरुण शर्मा, बल्कि वहां मौजूद एक और छात्र के साथ भी मारपीट की। किसी तरह से घायल तरुण वहां से निकलकर घर पहुंचा, लेकिन शाम को उसकी तबीयत बिगड़ गई।
परिवारवालों ने जब उससे कारण पूछा, तो उसने पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। हालत बिगड़ने पर उसे तुरंत हिंडौन के राजकीय जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, जहां फिलहाल उसका इलाज चल रहा है।
पुलिस कार्रवाई और सामाजिक गुस्सा
तरुण के पिता रविकांत शर्मा ने इस घटना की शिकायत नई मंडी थाना में दर्ज करवाई है। इस हमले से क्षेत्र में खासतौर पर ब्राह्मण समाज में गुस्सा है। समाज के प्रतिनिधि थाने पहुंचे और पुलिस को ज्ञापन सौंपते हुए आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की।
पुलिस अधीक्षक बृजेश ज्योति उपाध्याय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। थानाधिकारी के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज की पुष्टि हो चुकी है और लाइब्रेरी संचालक से पूछताछ भी की जा चुकी है। आरोपियों की तलाश में पुलिस की विशेष टीमें लगाई गई हैं।
ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं
यह कोई पहली बार नहीं है जब लाइब्रेरी जैसे शांत स्थान पर इस तरह की हिंसा हुई हो। कुछ समय पहले दौसा (राजस्थान) में भी इसी तरह की एक घटना सामने आई थी, जिसमें एक छात्र की बेरहमी से पिटाई की गई थी और उसकी मौत हो गई थी।
ऐसे मामलों से साफ जाहिर होता है कि शिक्षण संस्थानों और लाइब्रेरी जैसी जगहों पर भी छात्रों की सुरक्षा आज सवालों के घेरे में है। सवाल ये भी उठता है – क्या अब लोगों में पुलिस का डर खत्म हो गया है?
समाज और प्रशासन को क्या करना चाहिए?
लाइब्रेरी में हुए इस हमले ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। क्या छात्रों को सुरक्षित माहौल देना सिर्फ स्कूल-कॉलेज की जिम्मेदारी है? या समाज और प्रशासन को भी मिलकर कुछ सख्त कदम उठाने चाहिए?
- लाइब्रेरी और कोचिंग सेंटर्स में सुरक्षा गार्ड की तैनाती
- नियमित सीसीटीवी मॉनिटरिंग
- असामाजिक तत्वों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई
- लाइब्रेरी मालिकों की जिम्मेदारी तय करना
ये सभी उपाय जरूरी हो गए हैं, ताकि छात्र बिना डर के पढ़ाई कर सकें।
परिणाम
हिंडौन की इस घटना ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि पढ़ाई की जगह भी अब सुरक्षित नहीं रही। लाइब्रेरी में हुआ यह हमला न केवल कानून-व्यवस्था की पोल खोलता है, बल्कि समाज में बढ़ रही हिंसा की प्रवृत्ति की ओर भी इशारा करता है।
जरूरत है त्वरित और सख्त कार्रवाई की, ताकि भविष्य में कोई और छात्र इस तरह की हिंसा का शिकार न बने। छात्र पढ़ाई करें, डर नहीं – यही एक शिक्षित समाज की पहचान होनी चाहिए।