राजस्थान के एक कस्बे में हुए दर्दनाक सड़क हादसे ने एक परिवार की खुशियों को मातम में बदल दिया। भाई को रेलवे स्टेशन से लाने जा रहे दो युवक जब बाइक से निकले थे, तब किसी ने नहीं सोचा था कि लौटते वक्त एक की लाश आएगी और दूसरा अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा होगा।
हादसे का मंजर — खड़े ट्रेलर से टकराई बाइक
यह दुखद घटना तब हुई जब दोनों युवक बाइक से रेलवे स्टेशन की ओर जा रहे थे। रास्ते में सड़क किनारे बिना किसी संकेत या चेतावनी के खड़ा एक बड़ा ट्रेलर उनकी नजरों से ओझल रहा और तेज रफ्तार बाइक उससे जा भिड़ी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बाइक चला रहे युवक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पीछे बैठे उसके साथी को गंभीर चोटें आईं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, ट्रेलर बिना किसी लाइट या संकेत के सड़क के किनारे खड़ा था, जिससे यह हादसा हुआ। आसपास मौजूद लोगों ने तुरंत एंबुलेंस को सूचना दी और दोनों घायलों को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक एक की सांसें थम चुकी थीं।
मृतक युवक की पहचान और पारिवारिक स्थिति
मृतक युवक की पहचान एक स्थानीय निवासी के रूप में हुई है, जो अपने छोटे भाई को रेलवे स्टेशन से लाने निकला था। उसका परिवार इस हादसे से गहरे सदमे में है। घर में मातम पसरा है और हर आंख नम है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है, खासतौर पर मां की चीखें हर किसी का दिल चीर रही हैं।
उसका साथी, जो इस समय अस्पताल में भर्ती है, की हालत नाजुक बनी हुई है। डॉक्टरों की एक टीम लगातार उसकी स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
इलाके में शोक की लहर
जैसे ही इस हादसे की खबर इलाके में फैली, आसपास के लोग मृतक युवक के घर पहुंचने लगे। दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर कोई यह सोचकर हैरान और दुखी था कि जो युवक अभी कुछ घंटे पहले मुस्कुराते हुए निकला था, अब कभी लौटकर नहीं आएगा।
प्रशासन पर सवाल
स्थानीय लोगों ने हादसे के बाद प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि ऐसे भारी वाहन अगर बिना किसी संकेत या लाइट के सड़क पर खड़े होंगे, तो हादसे होना तय है। लोगों ने मांग की है कि ऐसे वाहनों पर सख्त कार्रवाई की जाए और ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन करवाया जाए।
इसके अलावा यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि क्या उस इलाके में पर्याप्त स्ट्रीट लाइट्स हैं? क्या ट्रैफिक पुलिस की निगरानी होती है? इन सभी मुद्दों पर प्रशासन से जवाब की मांग की जा रही है।
एक दर्दनाक सीख
यह हादसा एक कड़वी सच्चाई को उजागर करता है कि भारत में सड़कों पर खड़े भारी वाहनों की वजह से हर साल सैकड़ों जानें चली जाती हैं। ऐसे मामलों में अक्सर न तो वाहन मालिकों को सजा मिलती है, न ही सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू किया जाता है।
युवक की मौत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सड़क सुरक्षा सिर्फ नियमों की किताब में नहीं, जमीनी हकीकत में भी जरूरी है। आम लोगों से लेकर प्रशासन तक, सबको मिलकर इस दिशा में काम करने की ज़रूरत है।