जब फॉर्च्यूनर बना दहेज की मांग का प्रतीक
भारत में दहेज की बुराई ने एक बार फिर सिर उठाया है। इस बार मामला एक साधारण शादी का नहीं, बल्कि एक बहादुर लड़की के साहस का है जिसने दहेज मांगने वालों को ठुकराकर समाज के सामने मिसाल पेश की है।
राजस्थान की एक नवविवाहिता ने सामने आकर बताया कि उसकी शादी तीन महीने पहले तय हुई थी। शादी की बातचीत शुरू होने के कुछ ही समय बाद, होने वाले पति नीतीश ने फोन पर फॉर्च्यूनर कार और एक एसी की मांग कर दी। यह कोई मज़ाक नहीं था – वह बार-बार फोन कर दहेज की बात दोहराता रहा।
परिवार ने किया अनदेखा, लेकिन दुल्हन रही अडिग
दुल्हन ने जब यह बात अपने परिवार से साझा की, तो उन्होंने इसे हल्के में लिया और टाल दिया। लेकिन नीतीश की लगातार दहेज की मांग ने लड़की को सोचने पर मजबूर कर दिया।
उसने ठान लिया कि वह चुप नहीं बैठेगी।
शादी के स्टेज पर फूटा गुस्सा
जो बात घर में कही जा सकती थी, वह बात दूल्हा और उसके परिवार ने शादी के स्टेज पर दोहराई। उन्होंने खुलेआम दहेज की मांग रखी – मानो यह कोई सामान्य परंपरा हो।
लेकिन दुल्हन ने चुप्पी नहीं साधी। उसने स्टेज पर ही सबके सामने सच्चाई रख दी – कि यह रिश्ता सिर्फ फॉर्च्यूनर और एसी के आधार पर नहीं चलेगा।
समाज को दिया संदेश – “अब और नहीं!”
दुल्हन ने दहेज की मांग करने वालों का सार्वजनिक रूप से विरोध किया और समाज से अपील की कि ऐसे लोगों को बहिष्कृत किया जाए। उसने कहा –
“दहेज एक अपराध है, इसे सहन नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे लोगों को समाज में कोई जगह नहीं मिलनी चाहिए।”
उसकी यह बात अब सोशल मीडिया से लेकर स्थानीय समाचार चैनलों तक चर्चा का विषय बन चुकी है।
दहेज: अब भी जिंदा एक सामाजिक ज़हर
दहेज प्रथा कोई नई समस्या नहीं है। सदियों से यह भारतीय समाज में मौजूद है, लेकिन अफसोस की बात है कि 21वीं सदी में भी यह उतनी ही प्रबल है।
दहेज के कारण हर साल हजारों महिलाएं उत्पीड़न का शिकार होती हैं। किसी की शादी टूटती है, किसी को जलाया जाता है, और किसी को आत्महत्या के लिए मजबूर किया जाता है।
क्यों मांगते हैं लोग दहेज?
- पितृसत्तात्मक सोच: समाज में पुरुषों को आज भी महिलाओं से ऊंचा माना जाता है।
- सामाजिक प्रतिष्ठा का दिखावा: दहेज को स्टेटस सिंबल बना दिया गया है।
- आर्थिक सुरक्षा की गलतफहमी: कुछ परिवार सोचते हैं कि दहेज देकर बेटी को ससुराल में सम्मान मिलेगा।
कानून क्या कहता है?
भारत में दहेज को रोकने के लिए 1961 में दहेज निषेध अधिनियम (Dowry Prohibition Act) लागू किया गया था। इसके अनुसार:
- दहेज लेना और देना दोनों अपराध हैं
- दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की जेल और जुर्माना लग सकता है
- महिला आयोग और पुलिस को शिकायत की जा सकती है
लेकिन कानून से ज्यादा ज़रूरत है सोच में बदलाव की।
कैसे रोकें दहेज?
- शिक्षा: लड़कियों और लड़कों दोनों को शिक्षित करें ताकि वे समझ सकें कि दहेज एक अपराध है।
- कानूनी कार्रवाई: हर मामले में बिना झिझक रिपोर्ट करें।
- महिलाओं का सशक्तिकरण: आत्मनिर्भर महिला कभी दहेज की मोहताज नहीं होती।
- सामाजिक जागरूकता: पंचायतों, स्कूलों और सोशल मीडिया के ज़रिए संदेश फैलाएं।